देवभूमि उत्तराखंड की इस विरासत में विराजमान सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा को भला कौन नहीं जानता आज हम बात करे है अल्मोड़ा के मुख्य पर्यटन स्थल और यहाँ की कुछ खास जानकारी.

अल्मोड़ा कुमाऊ के तीन पहाड़ी जिलों में से एक इसे कुमाऊँ की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है अल्मोड़ा घोड़े की जीन का आकार 5 किलोमीटर लंबे में स्थित है चारों ओर से पहाड़ी श्रृंखलाएं में स्थित एक तरफ बानरी देवी, कसार देवी और स्याही देवी और कटारमल से घिरा हुआ है। इनमें से तीन पहाड़ों में की चोटियां पर देवी की मंदिर है। और एक चोटी में सूर्य देवता का मंदिर है। अल्मोड़ा पर्यटको के लिए यह बहुत ही आश्चर्यजनक माना जाता है।
चारों ओर से घिरा हुआ यह जिला अपने आप में खूबसूरती का परिचय दिखाता है। हर जगह से यहां पर्यटकों की भीड़ लगातार रहती है। अल्मोड़ा आने के लिए हर जगह से रेलवे व बस के रास्ते हैं। कहा जाता है कि अल्मोड़ा को कुमाऊं के राजा चंद ने 1568 में मैं खोजा। राजा शिकार की तलाश में 1 दिन अपने घोड़े पर सवार होकर अचानक एक अनजान जगह पर पहुंचे उस जगह का सौंदर्य राजा को काफी अच्छा लगा। जिसमें उसने अपनी राजधानी चंपावत से बदलकर वहां बना दी और नाम रख दिया.
अल्मोड़ा वैसे इस के उदभव के बारे में कई और बातें भी प्रचलित है लेकिन अधिकतर यहां के स्थानीय निवासियों की जुबान से यही कहानी सुनने को मिलती है। अपनी भौगोलिक सुंदरता से यह भरा कोशी और सुयाल नदी यही है। यहां से पर्यटक बैजनाथ, बिनसर, पिंडारी ग्लेशियर जा सकते हैं हर जगह से यहां पर्यटक आते हैं और यहां का लुफ्त उठातेहैं यहां रहने के लिए होटल और गेस्ट हाउस भी उपलब्ध है।
अल्मोड़ा में क्या क्या विशेष है
पहाड़ों के राजा हिमालय की श्रृंखलाओं से घिरा हुआ यह अल्मोड़ा अपने आप में बहुत ही आश्चर्यजनक है इसके अलावा यहां हरे-भरे नीले रंग के पर्वत और यहां की बाल मिठाई , पत्थर यानि पटालो से प्रसिद्ध है यहां प्रमुख किले लाल मंडी का किला और खगमरा का किला
अल्मोड़ा के मुख्य दर्शनीय स्थल



माँ नंदा देवी मंदिर -अल्मोड़ा के बीचो बिच यह मंदिर हे। जहा हर साल अगस्त-सितम्बर के माह में मेला लगता हे। लोगो की काफी भीड़ होती हे
चितइ गोलू मंदिर -अल्मोड़ा से करीब 10 -15 किलो मीटर की दुरी में स्थित मंदिर में न्याय के देवता गोलू देव का मंदिर हे जहा हर समय भक्तों की भीड़ होती हे।
जागेश्वर मंदिर -अल्मोड़ा से 30 से 40 किलोमीटर की दूरी में यह मंदिर स्थित है यहां भगवान शिव की पूजा होती है यहां छोटे-छोटे कहीं मंदिर स्थित है यहां पर हर साल भक्तों का भीड़ लगी रहती है जुलाई के महीने में सावन का मेला लगता हे।
कटारमल सूर्य मंदिर-अल्मोड़ा से 20 से 25 किलोमीटर की दूरी में यह मंदिर स्थित है यहां सूर्य देव का प्रसिद्ध मंदिर है।
डोलआश्रम – अल्मोड़ा से करीब 35 से 40 किलोमीटर की दूरी में स्थित मंदिर है यहां भगवान शिव और देवी देवताओं का प्रसिद्ध आश्रम हे।
यहाँ बच्चो को संस्कृत का ज्ञान भी दिया जाता हे भी काफी अपने आप में आश्चर्यजनक हे। और भी काफी तीर्थ स्थल है जैसे मां बानरी देवी और मां स्याही देवी और कसार देवी आदि हे।



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