श्राद्ध क्या है |पितृ पक्ष
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को हमारे हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता है. इसे 16 श्राद्ध भी कहा जाता है. श्राद्ध की महिमा को विष्णु,वायु,वराह,मत्स्य,आदि पुराणों दिखाया गया है तथा श्राद्ध की विधि का वर्णन भी इनमें किया गया है.
श्राद्ध क्यों मनाया जाता है और महत्व
इन शास्त्रों में कहा गया है कि अपने पूर्वजों,पितरों और कुल देवताओं पर आस्था रखना और श्रद्धा रखना ही श्राद्ध है. ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज़ इस समय जीव आत्माओं को मुक्त कर देते हैं. ताकि वह अपने अपने स्वजनों के यहां जाकर उनके द्वारा किये गये तर्पण को ग्रहण कर सकें. इसके बाद प्राणी अपने परिजनों की राह देखते हैं और उनके द्वारा किया गया तर्पण ग्रहण करने के बाद वापस अपने अपने लोक को चले जाते हैं. स्वजनों द्वारा श्राद्ध नहीं करने पर वह दुखी हो जाते हैं और जाते जाते परिवार को श्राप दे जाते हैं. जिस कारण मनुष्य जीवन में कई परेशानियों जैसे ग्रह कलेश आदि का सामना करना पड़ता है. श्राद्ध पक्ष के समय मांस का सेवन करना वर्जित माना जाता है. श्राद्ध उसी तिथि को किया जाता है जिस तिथि को मृत्यु हुई हो फ़िर चाहे वो कोई भी पक्ष में हो
श्राद्ध पक्ष की प्रमुख तिथियाँ 2020
प्रतिपदा का श्राद्ध 2 सितम्बर बुधवार
द्वितीया का श्राद्ध 3 सितम्बर गुरुवार
तृतीया का श्राद्ध 5 सितम्बर शनिवार
चतुर्थी का श्राद्ध 6 सितम्बर रविवार
पंचमी का श्राद्ध 7 सितम्बर सोमवार
षष्ठी का श्राद्ध 8 सितम्बर मंगलवार
सप्तमी का श्राद्ध 9 सितम्बर बुधवार
अष्टमी का श्राद्ध 10 सितम्बर गुरुवार
नवमी का श्राद्ध 11 सितम्बर शुक्रवार
दशमी का श्राद्ध 12 सितम्बर शनिवार
एकादशी का श्राद्ध 13 सितम्बर रविवार (इस दिन एकदशी का व्रत करके पितरो को पुन्य्दन देने से मुक्ति मिल जाती है .
द्वादशी का श्राद्ध 14 सितम्बर सोमवार (इस दिन को सन्यासियों का श्राद्ध भी किया जाता है)
- त्रयोदशी का श्राद्ध 15 सितम्बर मंगलवार
- चतुर्दशी का श्राद्ध 16 सितम्बर बुधवार
- अमावस्या का श्राद्ध 17 सितम्बर गुरुवार
आज हमने जाना श्राद्ध क्या है और क्यों मनाया जाता है और पितृ पक्ष श्राद्ध आरंभ कब से है और महत्व क्या है उम्मीद करता हु आर्टिकल अच्छा लगा होगा धन्यवाद
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