पत्थर की चक्की मशीन (जातर ) के बारे में
patthar ki chakki machine जी हा दोस्तों सही सुना पुराने ज़माने में अनाजो को पत्थर की चक्की मशीन जिसे जातर भी कहा जाता है उसे पिसा जाता था क्या आपको पता है चलिए आज हम रु बरु करने है पहले के वक्त न ही शाधन हुआ करते थे लेकिन हमारे बुजुर्गो को सलाम है जो इस तरीके के साथ गुजारा करते थे आज आपको लग रहा होगा की सब मशीनों से बनकर आ जाता है ,लेकिन उस वक्त का दौर कुछ अलग था चलिए जानते है कुछ खास बाते
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पत्थर की चक्की मशीन |
पहले जब चक्कियाँ अस्तित्व में नहीं आई थी तब अनाजों को पीसने के लिए जातर का ही उपयोग किया जाता था। लेकिन चक्कियों के आने के बाद लोगों ने इसका उपयोग करना बंद कर दिया। अब तो जातर के बारे में कोई जानता तक नहीं है। पुराने जो लोग हैं वह कहते थे कि इसमें पिसा हुआ आटे की रोटियाँ काफ़ी पोष्टिक और ताकतवर होती थी आजकल के चक्कियाँ में पिसे हुए आटे के मुकाबले। इसलिए पहले लोग काफ़ी ताकतवर होते थे।
बनावट:– इसमें दो पलड़े होते हैं और एक पलड़ा दूसरे के ऊपर रखा जाता है बीच में एक लकड़ी लगी होती है। जिसके सहारे दोनों पलड़े जुड़े रहते हैं। ऊपर के पलड़े में दो या तीन होल होते हैं जिनमें अनाज को पीसने के लिए डाला जाता है। इसके सिरे पर एक और होल होता है जिस पर लकड़ी फँसा के जातर को घुमाया जाता है और अनाज पिसकर दोनों पलड़ों के बीच से निकलता है। हालाँकि अब तो लोगों ने इसमें अनाज पीसना बंद कर दिया है। लेकिन गाँवों में आज भी इसका उपयोग दालों जैसे -मसूर,उड़द आदि को दलने के लिए किया जाता है।
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धन्यवाद
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