असौज लग गया(घास काटने का समय)
में आज आपको कुछ अलग जानकारी बताने की कोशिश में हु.बात उन दिनों की है जब पहाड़ी क्षेत्रो यानि वो स्थान जहा पहाड़ और लोगो का मुख्य व्यशाय खेती और पशुपालन होता है ,उत्तराखंड और हिमांचल के पहाड़ी क्षेत्र है .जब वर्षा ऋतू के अतिम समय और शरद ऋतू की सुरुआत(सितम्बर माह से प्रारम्भ) होती है तब खेतो में हरियाली और उभरी सी रहती है .तब पहाड़ो के लोग घास काटने बड़े व्यस्त रहते है .शुबह-शाम खेतो में लगे रहते है न खाने की चिंता न दिमाग में कुछ और सुझता है सिर्फ असौज कब निपटे कब आराम मिले .

असौज से जल्दी निपटने के लिए क्या करते है गाँव के लोग
सूरज की किरण जब पहाड़ो पर पड़ती है वेसे ही नजारा काफी सुहाना लगता है .हरे भरे पेड़ और खेत खिले लगते है .में यानि तुम पढ़ रहे हो जब में उठा जब प्रात लोग जल्दी उठ जाते है.शुबह घर का काम करके खेतो में निकल जाते है.घास काटने के लिए पलटार(एक दुसरे के साथ काम करना) भी लगाते है और साथ में अपने खाने का सामान भी खेतो में बनाते है जेसे –चाय ,दिन का खाना .
सच में पहाड़ो में मानो जन्नत है .हसते खेलते कब दिन गया पता नहीं चलता है .फिर थोडा आराम लेकर चाय पिते जब तक शाम न हो घर वापस नहीं आते है .में आपको कुछ चित्रों में दिखाता हु .किस प्रकार का कार्य होता है
कैसा लगा आपको ब्लॉग आपकी यादो को ताजा कर दिया पहाड़ो में वेसे जीवन व्यतीत करना थोडा कठिन भी है और मस्ताना भी है . असौज लग गया(घास काटने का समय) भी आ गया .चलो बहुत हो गया आओ अपने पहाड़ बुला रही है आपकी वो मग्न मस्त हवाए .
यह भी पड़े
- Kumaoni Bhasha Ka Itihas(History of Kumaoni Langauge)क्या है
- Gaura Devi Kanya Dhan Yojana Uttarakhand 2020 का फॉर्म कैसे भरे
रंगीलो पहाड़ व्हाट्सप्प ग्रुप जुड़ने के लिए क्लिक करे – rangilopahad