Navratri को भले कौन नहीं जानता है यानि साक्षात् Durga के दर्शनों का समय आ गया है.हर साल Navrarti दो बार मनाई जाती है . पहले नवरात्रि अप्रैल -मार्च के महीने से प्रारंभ होते है जिन्हें हम chaitra navratri(चैत्र नवरात्री) कहते है और लेकिन अभी की जो प्रारंभ है Shardiya Navratri(शारदीय नवरात्री) कहते है.दोनों नवरात्रियो का अपना अलग महत्व है.हम आज आपको बताने जा रहे है इस साल 17 Ovtober -25October2020 से प्रारभ होने वाली Navratri Puja Vidhi कैसे करे और नवरात्रि अष्टमी और नवमी शुभ मुहूर्त का समय क्या है और नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
Durga Puja Kyu Manate hai-नवरात्रि क्यों मनाई जाती है-
असुरो के राजा महिषासुर सृष्टीकर्ता ब्रह्मा का भक्त था और उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने से वरदान प्राप्त था की कोई देवता या दानव उस पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता.महिषासुर बाद में स्वर्ग लोक के देवताओ को परेशान करने लगा उनके सारी शक्तिया छी ली गई और इन्द्र को हराकर स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया और प्रथ्वी पर भी उत्पात मचाने लगा.देवता गण (पवन ,अग्नि ,इंद्र) परेशान होकर बह्मा ,विष्णु ,महेश के पास सहायता के लिए गए कोई उपाय न मिलने के बाद देवताओ में उसके विनाश के लिए दुर्गा का सृजन किया जिसे हम पार्वती के नाम से भी जाना है.कहा जाता है वही देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवे दिन वध किया और इसी माँ दुर्गा की शक्ति से हिदू भक्तगण दश दिनों का त्यौहार Durga Puja यानि नवरात्रि के रूप में मनाते है.जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक भी है .

Durga Puja Kaise Hoti hai
नवरात्रि में कौन-सी देवी की किस दिन पूजा की जाती है?
17 अक्तूबर -माँ शेलपुत्री पूजा
18 अक्टूबर -माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर -मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर -माँ कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
नवरात्रि में मां दुर्गा को नौ रूपों में पूजा जाता है इसलिए नवरात्रि नौ दिन की ही होती है.आज हम आपको मां दुर्गा के नौ रूपों से आपको अवगत कराएंगे
1. शैलपुत्री- दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाए हाथ में कमल का पुष्प धारण करने वाली शैलपुत्री दुर्गा के नौ रूपों में प्रथम स्थान पर पूजी जाती हैं. शैल का अर्थ होता है पर्वत या शिखर यानी शैलपुत्री को पर्वत की पुत्री के रूप में जाना जाता है.इसके अलावा इसका इसका अर्थ है सर्वोच्च स्थान.शैलपुत्री मां दुर्गा का प्रथम रूप है.इनका वाहन बैल है इसी कारण इन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है.जहां वृषभ का अर्थ बैल है तथा आरूढ़ का अर्थ है सवार होना.
मां शैलपुत्री का पूजन मंत्र(Shailputri Mata Mantra)
वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्|
वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ||
मनोवांछित फल देने वाली ,जिनके माथे पर अर्ध चन्द्र है जो बैल पर सवार हैं और शूलधारिणी हैं ऐसी यशस्विनी मां शैलपुत्री को मेरा प्रणाम
2. ब्रह्मचारिणी– ब्रह्मचारिणी का अर्थ है ब्रह्म यानी तपस्या का आचरण करने वाली यह नाम इन्हें हजारों वर्ष तपस्या के फलस्वरूप प्राप्त हुआ है.ये देवी दांए हाथ में माला तथा बांए हाथ में कमंडल धारण करती हैं.इनकी पूजा करने से मनुष्य में सदभावना ,सदाचार , संयम ,त्याग एवं तप का विकास होता है.
पूजन मंत्र-brahmacharini mata mantra
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू|
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा||
दाहिने हाथ में अक्षमाला तथा दूसरे हाथ में कमंडल धारण करने वाली ऐसी ब्रह्मचारिणी रूपी मां की मुझ पर कृपा हो
3. चंद्रघंटा–इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है.शेर पर सवार इस देवी के 10हाथ है और सारे हाथ खडग, गदा,धनुष बाण ,त्रिशूल आदि अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित हैं.इन्हें खीर का भोग लगाया जाता है तथा इनकी उपासना करने से दुःख दूर होने हैं तथा परम आनंद की प्राप्ति होती है.
पूजन मंत्र-chandraghanta mata mantra
पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता|
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता||
सिंह पर सवार चंड और अस्त्र शस्त्र धारण करने वाली मां चंद्रघंटा मुझे प्रसाद देने की कृपा करें.
4. कुष्मांडा-मां कुष्मांडा का वाहन भी शेर है.इनकी आठ भुजाएं हैं जो चक्र,धनुष बाण ,कमल के पुष्प ,कलश व कमंडल आदि से सुशोभित हैं.सृष्टि रचना से पूर्व चारों तरफ अंधकार था और ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की रचना मां कुष्मांडा के उदर से हुई है.इनकी उपासना से बुद्धि में विकास होता है.
पूजन मंत्र-kushmanda mata mantra
सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च|
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे||
5. स्कंदमाता-स्कंद भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय का दूसरा नाम है.इनकी चार भुजाएं हैं तथा इनका वाहन भी शेर है.इनके गोद में सदैव भगवान कार्तिकेय विराजते हैं.ये सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं इसलिए इनके चारों ओर सूर्य सा अलौकिक तेज रहता है.इन्हें ज्यादातर केले का भोग लगाया जाता है तथा इनकी उपासना करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
पूजन मंत्र-skandmata mantra
सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया|
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी||
6. कात्यायनी– इन्होंने महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया जिस कारण इन्हें मां कात्यायनी के नाम से जाना जाता है.इन्हें मां दुर्गा के छठे रूप में पूजा जाता है.इनका रंग सोने की तरह अत्यंत चमकीला है.इनका वाहन भी सिंह ही है.इनकी चार भुजाओं में से एक अभय मुद्रा में,एक वर मुद्रा में ,एक में तलवार तथा एक हाथ में कमल का फूल विराजित है.
पूजन मंत्र-katyayani mata mantra
चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना|
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी|
7. कालरात्रि– इनका रूप एकदम काला है.इन्हें समस्त असुरों का विनाश करने वाला माना जाता है.इनके गले की माला बिजली कि भांति चमकती हुई प्रतीत होती हैं.इनकी तीन आंखे तथा चार हाथ हैं.जिनमें एक अभय मुद्रा में,एक वर मुद्रा में तथा दो हाथ अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित हैं.इनका वाहन गधा है.
पूजन मंत्र-kalratri mata mantra
एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता|
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी||
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा|
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी||
8. महागौरी– इनका रंग सफेद है.इसके अलावा इनके वस्त्र तथा आभूषण भी श्वेत रंग के हैं.इनका वाहन बैल है.इनके भी चार हाथ हैं.जिनमें एक अभय मुद्रा में,एक वर मुद्रा में,एक हाथ में डमरू तथा एक में त्रिशूल है.
पूजन मंत्र-mahagauri mata mantra
श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:|
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद||
9. सिद्धिदात्री- सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली मां सिद्धियात्री देवी दुर्गा का नौवां रूप है.कमल पुष्प पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के एक हाथों में चक्र,शंख गदा तथा कमल का फूल विराजित है.
पूजन मंत्र-siddhidatri mata mantra
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि|
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी||
Durga Puja Vidhi कैसे करे
अगर माँ दुर्गा को प्रसन्न करना है तो Puja Vidhi का भी बड़ा महत्व है navratri puja vidhi at home in hindi बताने वालो हो इन बातो का ध्यान रखे .
Navratri Puja Vidhi
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करे
- पूजा स्थान पर साफ-सफाई करे.चौकी रखे
- चौकी को लाल कपडे पर बिछाये
- देवी पुराण के अनुसार कलश को ही नव दुर्गा कहा जाता है .
- सुपारी ,चावल ,सिक्का ,जल,आम के पत्ते ,पान के पत्ते
कलश स्थापना के लिए samagri की जरुरत पड़ती है .
- जौ के लिए मिट्टी का बर्तन
- जौ को बोने के लिए साफ मिटटी
- सुपारी ,इत्र,गंगाजल आदि सामग्री
- हर रोज पानी चड़ाए
अष्टमी और नवमी के दिन शुभ मुहूर्त जाने-
दुर्गा अष्टमी
24 October 2020 पूजा समय -सुबह का समय
दुर्गा नवमी
25 October 2020 पूजा समय -सुबह का समय
दशमी -सुबह के समय के बाद प्रारभ है
आज क्या नया सिखा
आज हमने जाना Navratri Puja Vidhi(नवरात्री पूजा विधि) और नवरात्रि कहानी और शुभ मुहूर्त के बारे में उम्मीद करता हु आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा धन्यवाद आप सभी को नवरात्रि की शुभकामनाए माता रानी की आप पर कृपा बनी रही -जय माता रानी
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