Nanda Devi Temple (नंदा देवी मंदिर )का इतिहास
Nanda Devi Temple History in Hindi

नंदा देवी पर्वत चोटी (Nanda Devi Mountain) भारत की सबसे ऊँची पर्वत चोटियों में गिनी जाती है. लेकिन उत्तराखंड में नंदा को एक देवी के रूप में पूजा जाता है. उत्तराखंड में माँ नंदा देवी के कई मंदिर हैं लेकिन इनमें से नैनीताल(मुख्य पर्यटन स्थल )स्थित नंदा देवी मंदिर (Nanda Devi Temple ,Almora Uttarakhand )और अल्मोड़ा(सांस्कृतिक नगरी) स्थित माँ नंदा का मंदिर काफ़ी प्रसिद्ध है.
नन्दाअष्टमी का उत्सव कैसे मनाया जाता है



नन्दाअष्टमी का उत्सव भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है.यह उत्सव वैसे तो समूचे उत्तराखंड में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.लेकिन सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के नंदा देवी मंदिर और बागेश्वर ज़िले के कोट भ्रामरी मंदिर में विशाल मेले का आयोजन होता है.इस समय षष्ठी के दिन कदली (केले ) के वृक्ष से मूर्तियों का निर्माण किया जाता है और नन्दाअष्टमी के दिन उनमें प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.
इसके बाद दसमी के दिन गाजे बाजे के साथ माँ नंदा को विदा किया जाता है और इन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है.इस दिन और वर्षों में अल्मोड़ा नगर में काफ़ी ज़्यादा भीड़ रहती थी और कई सारे कार्यक्रमों का आयोजन भी यहां किया जाता था जो कि इस वर्ष कोरोना के प्रकोप के कारण नहीं हो पा रहा है.
नंदा देवी मेले की शुरूआत
कहा जाता है कि इस मेले की शुरूआत चंद वंशीय राजाओं ने की वह माँ नंदा को अपनी कुलदेवी भी मानते थे.
सन 1638 में जब चंद वंशीय शासक बाज़ बहादुर चंद ने गढ़वाल शासक पृथ्वी पति साह को परास्त किया तो वह यहां से माँ नंदा की मूर्ति को विजय के प्रतीक के रूप में अल्मोड़ा लेकर आया और उसे अल्मोड़ा के मल्लामहल महल किले में स्थापित किया.
इसके बाद जब उध्योत चंद राजा बने उन्होंने यहां उध्योत चन्देश्वर और तथा पार्वतीश्वर मंदिरों का निर्माण कराया.
कहा जाता है कि एक बार जब अंग्रेज कमिश्नर ट्रेल नंदा देवी पर्वत पर चढ़ रहे थे तो उनकी आंखें बंद हो गयी. स्थानीय ज्योतिषियों ने उन्हें अल्मोड़ा में माँ नंदा देवी के मंदिर की स्थापना करने को कहा इसके बाद ट्रेल(कमिश्नर शासक ) ने ऐसा ही किया और मल्लामहल स्थित माँ नंदा की मूर्ति को भी यहां स्थापित किया.
यह भी जाने
मेले में आयोजन और विशेष कार्यक्रम
चलिए ये भी जान लेते है मेले में क्या होता है खास .यह उत्तराखंड का एक ऐसा भी त्यौहार है आस्था के साथ यहाँ भक्तो की काफी भीड़ होती है हर साल यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम ,झोडा ,बहुत सारे कार्यक्रम भी होते है .मेले में सभी प्रकार की वस्तुए और झुला आदि भी लगते है .
माँ नंदा देवी का आशीर्वाद आप सभी भक्तजनों पर बना रहे .आज हमने जाना उत्तराखंड में स्थित Nanda Devi Temple का इतिहास और मेले की शुरुआत के बारे में
कैसा लगा आपको यह लेख हमें बताये और शेयर भी करे धन्यवाद
रंगीलो पहाड़ व्हाट्सप्प ग्रुप जुड़ने के लिए क्लिक करे – rangilopahad
नंदा देवी मेले के बारे में आपने बहुत अछि जानकारी शेयर की है धन्यवाद
कुमार जी धन्यवाद हमारे साथ ऐसे ही जुड़े रहे