
माँ कौमारी देवी गुफा मंदिर सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा से लगभग 31 km दूर लमगड़ा ब्लाक के नौरा वन क्षेत्र सुदर वादियों में स्थित है ,यह मंदिर काफी पुराना प्रसिद्ध है यह गुफा मंदिर अपने आप में अलग चमत्कारी शक्ति रूप है ,यह मंदिर गुफा के अंदर बसा है ,यह मंदिर हमारे कत्युर काल युग से सबंध रखता है ,देवभूमि उत्तराखंड अपने आप में अलग दर्शाती है आज आपको माँ दुर्गा का स्वरुप (कौमारी ) गुफा मंदिर के बारे में कुछ रहस्य ,अलेकिक शक्ति ,कथाओ बारे में जानेगे चारो ओर जंगलो में चीड ,बुराश ,देवदार के पेडो के बीच विराजमान जंगल में बनी मंदिर में शिला गुफा माँ दुर्गा (कोमारी ) के 108 नामो में से एक मंदिर शिवालिक की इस पहाड़ी पर है जो अपने नाम के कन्याओ और नवविवाहित शुरक्षा कवच देती है ,माँ का ऐसा अलेकिक स्थल जहा शिव पुत्र कार्तिकेय और पांड्वो से जुडी तमाम पोराणिक कथाये जुडी है ,
माँ कौमारी गुफा मंदिर का इतिहास
इस गुफा में स्थित गुफा मंदिर हमारे पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान शिव और माँ पार्वती ने जब कुमार कार्तिकेय और गणेश जी के विवाह करने की जिद पकड़ी तब महादेव ने व्यवस्था शुरू की गई -जो पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर पहले अपने माता -पिता के समक्ष उपस्थित हो उसे असर दिया जायेगा ,कुमार कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर हवा में निकल पड़े ,गणपति वही खड़े रहे और उन्होंने अपने माता- पिता के साथ चक्कर लगाकर प्रणाम किया सामने खड़े रहे ,इस पर गजानन से पूछा गया -हे गजानन आप यही खड़े है ,जवाब दिया – मेरे लिए सम्पूर्ण पृथ्वी अपने माता-पिता है उससे बड़ा कोई नहीं ,कथा के अनुसार शिव और पार्वती ने गणेश की आशीर्वाद दे दिया और पृथ्वी का चक्कर लगाकर कुमार कार्तिकेय जब लौटे उन्हें उपेक्षा करार देकर जिससे कार्तिकेय नाराज होकर कैलाश छोड़कर चले गए ,कथा के अनुसार -कार्तिकेय के दक्षिण की ओर रुख करते गये बहुत सारे गुफाओ में जब किया और कुमार कार्तिकेय की शक्ति इन शिलाखंडो में निहित हुई ,इसी स्वरूप को यहाँ माँ कौमारी कहा जाता है ,इस गुफा में माँ के शीलविग्रह की पूजा की जाती है,माँ को कुमारी देवी का मंदिर भी कहा जाता है ,अन्य स्थानों में माँ कुमारी देवी का मंदिर है जैसे –kumari devi temple kathmandu
devi kumari temple kanyakumari
पांडवो से जुडी हुई कथा
कथाओ के अनुसार कहा जाता है जब पांडव बद्रीनाथ के दौरान यहाँ की सकारात्मक शक्ति खीच लाई और यहाँ रुके तप किया और कई दिनों तक ध्यान किया इसका प्रमाण यहाँ गुफा के अंदर विशालकाय गदा के टकराने में प्रदर्शित की जा सकती है ,ऐसे कई चित्र यहाँ प्रदर्शित है .
पुरातात्विक महत्व
यह एक गुफा के साथ साथ अपने गुफा के बाहरी और अंदरूनी दीवारे पुरातात्विक महत्व दर्शाती है ,भीतर भाग में (उल्टी छत ) में दिखने वाले गोलाकार गड्डे और लकीरे बहुत कुछ दर्शाती है ,
संत महात्माओ का डेरा



माँ कौमारी गुफा मंदिर में संत महात्माओ का डेरा रहा है ,यहाँ समय समय में भागवत कथाये और शिवरात्रि के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है गुफा में विराजमन माँ कौमारी देवी को चुनरी ,बिंदी ,शिदुर ,चूड़िया ,श्रंगार आदि चडाने की परंपरा है ,
इस तरह पहुचे मंदिर में
सांस्कृतिक नगरी से अल्मोड़ा से 27 KM लमगडा से पहले ठाट बैंड के पास टकोली बाजार से बघाड रोड में जाना धर्मशाला तक उसके बाद आधा km पैदल रास्ता आपको माँ कोमारी गुफा का दिव्य स्वरुप तक ,सच में माँ कोमारी गुफा अपने आप में चमत्कार से कम नहीं है आप जरुए जाइये ,माँ कोमारी आप सभी भक्तो के दुखो को दूर करे आगे कहानी अच्छी लगी पोस्ट को शेयर करे हमें कमेंट करे आप कब जा रहे हो , सभी पाठको का धन्यवाद अपना सुझाव और ईमेल सब्स्क्रिबे जरुर करे
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JAI MA KOMARI KI JAI
SHINRAJ SINGH BAGDWAL
JAI MA KUMARI KA AASHIRWAD BNA RHE
jay ma koumari devi
dhanywad shvraj ji post ko share kare sabhi ko jankari mile
Jab Mata komari ka bulawa ayega tab jayenge but kahani sunkr bahut acha lga sunne me aisa lga jaise shakshat darsan hore ho Jay mata rani komari
bilkul priyanka ji jarur ese hi hamare sath jude rahe dhnywad apna feedback dene ke liye