बचपन में सुने ही होंगे आपने अपने आस पास या अपने दादा , दादी से तो चलिए आपकी यादो को फिर बया करते है ये कुमाऊँनी कहावते और किस्से कही न कही हमारी संस्कृति ,समाज से जुड़े है। सरल शब्दो में समझे मुहावरे वह है अपनी बातो को अलग तरीके से दिखाना।
आइये और समझते है हिंदी में आपने बहुत सुने होंगे आज हम कुमाऊनी कहावते के बारे में चर्चा करेंगे। क्या पता सायद बचपन की याद आ जाये।
आज हम लेके आये है भाग 2 इसमें भी जानेंगे खुश गजब के कहावते जिसे सुनकर मजा आने वाला है।
हातिक कानाक माख
अर्थात – हाथी के कान के पास मडराती मखियाँ
विस्तार रूप -किसी की परवाह न करना -अपने काम में ध्यान लगाना
माम् मथ पन नै,सुनु मैथ धन नै।
अर्थात -मामा से बड़ा रिश्ता नहीं और सोने से बड़ा धन नहीं
विस्तार रूप –मामा -भांजे का रिश्ता पवित्रता का सन्देश है

अर्थात –तेरे आटे में मेरा आटा भी मिला है
विस्तार रूप -दुसरो के काम में टांग अड़ाना
कुमाऊँनी कहावते part 1
ज्युनि पितर लात ,मरी पितर दूध भात।
अर्थात -जीवित पितरो को लात मारी और मृत पितरों को दूध भात चढ़ाया
विस्तार रूप -कहने का अर्थ है -समय रहते आपने बड़ो का सम्मान नहीं किया बाद में उन्हें दूध भात चढ़ाते हो
तात खाऊ ,जली मरू
अर्थात -गरम खाऊ जल मरू
विस्तार -बिना सोचे समझे काम सफल नहीं होते
जैली था ,विली पै।
अर्थात – जिसने सहन किया ,उसने पाया
विस्तार रूप -सब्र का फल मीठा होता है
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Bahut acha lgta h ye padhkr apne pahad k bare me itni jankari lekr pure to pta nhi thanks ki pahad me kaha Kya h but iske jariye bahut kuch mila ati Sundar jay devbhumi Jay uttrakhand
ji dnywad ham kosis karte rahenge pahad ki sabhi jankari de