कहावते हम आपको बताने जा रहे है कुमाऊ के भाषा में कहावते आपने बचपन में सुने ही होने दादा ,दादी से कुमाऊँनी कहावते और किस्से बचपन से समझ में नही आता लेकिन अब समझ आते है कुमाऊँनी कहावते
उत्तरायणी मेला:उत्तरायणी मेला बागेश्वर कुमाऊँ का प्रसिद्ध मेला

अकलै उमरे भेट न हुन
अर्थात -अकल और उम्र की भेट नहीं होती।
विस्तार रूप -इन पांच शब्दो में बहुत कुछ छुपा है। हमें अपने समय का सही उपयोग करना जरुरी है।
आपण ख्वार आफी न खोडिन
अर्थात – अपने शिर का मुंडन खुद नहीं कर सकते
विस्तार रूप -किसी कार्य को करने के लिए दुसरो की मदद भी जरुरी है
काच्यार में डुंग हरण , मुख जै लाग्
अर्थात -कीचड़ में पत्थर फेंका तो कीचड़ मुँह पर लगना
विस्तार रूप – मुर्ख इंसान से बात करना उचित नहीं है
खण है अघिल, लड़ने पछिल
अर्थात – खाने केलिए आगे रहना और लड़ने के लिए पीछे रहना चाहिए
विस्तार रूप – अवसर के साथ चलना चहिये
चेली थे कुण, ब्वारी के सुरुन
अर्थात – बेटी से कहना बहु को सुनाना
विस्तार रूप -अप्रत्यक्ष रूप से अपनी बात कहना
च्यल सुधारो बाबूक हत ,चेली सुधरे मेक हत
अर्थात – लड़का सुधरा पिता के हाथ , बेटी सुधरे माँ के हाथ
विस्तार रूप – बच्चो पर माँ बाप के संस्कार होने चाहिए।
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Wah yaadain taza ho gyi
ji dnywad dear
Sir ….ek kahawat hai …yo debtak koi ni hoy myre aang eyi ..iska kya matlab hua ….kripa karke bataye ..
Ji jarur -iska samaband hamare gharo me puja ya jagar se hai -jo devata hai uska koi nahi hai tab hamare pass aaye hai -dnywad apna question puchne ke liye hamare sath jude rahe jay uttarakhand