Jageshwar dham temple का रहस्यमयी इतिहास और मान्यताये

उत्तराखंड का सबसे लोकप्रिय मंदिर Jageshwar Mandir Almora के बारे में भले कौन नहीं जानता है .जी हा में बात करने वाला हु.जागेश्वर मंदिर का इतिहास और क्या प्राचीन मान्यताये है .और कितना पुराना मंदिर है और मंदिर कहाँ स्थित है .Jageshwar Temple के बारे में बहुत उत्साहित हु .आप भी बहुत उत्सुक होंगे और सावन का महिना भी है यानि शिवजी का महिना तो दर्शन करने जरुर जाइये .भगवान भोलेनाथ की कृपा सब पर बनी रहे. चलिए शुरू करते है इंतजार किस बात का है .
जागेश्वर मंदिर कहा स्थित है - jageshwar temple almora uttarakhand
jageshwar mandir kaha par hai भारत के 27वा राज्य देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड के संस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा जिले में स्थित है .सांस्कृतिक नगरी के नाम से मशहूर अल्मोड़ा जिला अपने गुणों से प्रचलित है,इसे किलो की नगरी और बाल मिठाई का घर भी कहा जाता है इस बारे में हमने पहले में आर्टिकल बनाए है आप पढ़ सकते है .
अल्मोड़ा नगर से करीब 38 km दूर देवदार के घने जंगलो में भगवान भोले नाथ का मंदिर है. जिसे जागेश्वर धाम (jageshwar temple) के नाम से जाना जाता है .jageshwar mandir उत्तराखंड का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है .
जागेश्वर मंदिर का इतिहास-History of Jageshwar temple
इस मंदिर के इतिहास के बारे में भी अलग अलग कहानिया है हम आपको वही बताने जरे है जो प्रचलित है
कहा जाता है उत्तर भारत में गुप्त साम्राज्य के दौरान हिमालय की पहाडियों के कुमाऊँ क्षेत्र में कत्युरी राजाओ के काल में जागेश्वर मंदिर का निर्माण हुआ था .इसी वजह से मंदिरों में गुप्त साम्राज्य की झलक दिखाई पड़ती है .
भारतीय पुरातत्व सर्वक्षण विभाग के अनुसार मंदिरों के निर्माण की अवधी को तीन कालो में बाटा गया है.कत्युरी काल ,उत्तर कत्युरी काल ,चद्र काल .जिसमे देवदार के घने जंगलो के मध्य बसे जागेश्वर धाम के अलावा अल्मोडा जिले के 400 से अधिक मंदिर का निर्माण किया .
इस मंदिर में ही लगभग 240 से अधिक छोटे –बड़े मंदिर है .जागेश्वर मंदिर का निर्माण लकड़ी और पत्थरो की बड़ी-बड़ी शिलाओ से किया गया है .दरवाजे की चोखट में देवी –देवताओ की प्रतिमा से अलंकृत है .और यह भी बताया गया है मंदिरों के निर्माण में ताम्बे की चादरों ,और देवदार की लकड़ी का भी प्रयोग है
प्राचीन मान्यताओ के अनुसार - jageshwar mandir history in hindi


जागेश्वर मंदिर का निर्माण पांडवो ने किया ऐसा कहा जाता है .यहाँ भगवान शिव की तपस्थली भी है .शिवजी तथा सप्त्ऋषियों ने यहाँ तपस्या भी की .यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है .यह ज्योतीलिंग को 8 माना जाता है .इसे योगेश्वर के नाम से भी जाना जाता है.
जगेश्श्वर मंदिर की मान्यताये
उत्तराखंड का सबसे बड़ा मंन्दिरो का समुह है .जागेश्वर धाम को उत्तराखंड का पाचवा धाम भी कहा जाता है .चार धाम जेसे –केदारनाथ ,बद्रीनाथ और गंगोत्री ,यमुनोत्री है .जागेश्वर मंदिर में 125 मंदिरों का समूह है जिसमे से 4-5 मंदिर काफी प्रचलित है .इस मंदिर के सारे मंदिरों का समुह केदारनाथ शेली निर्मित है और यह मंदिर अपने वास्तुकला के लिए काफी विख्यात है .बड़े-बड़े पत्थरों ने निर्मित मंदिर भक्तो को काफी आकर्षित करता है .
इस मंदिर में नव दुर्गा ,सूर्य ,हनुमान जी ,कलिका ,कालेश्वर प्रमुख है .हर साल श्रावन माह में पुरे ,महीने जागेश्वर धाम में पर्व लगा रहता है .जहा पुरे देश से ही बल्कि विदेशो से भी भक्तो का दर्शन के लिए भीड़ लगी रहती है .इस स्थान पर कर्मकांड ,जप ,हवन ,यज्ञ ,पार्थिव पूजन ,आदि किया जाता है . यह मंदिर हिन्दुओ के सभी बड़े मंदिरो में एक है .
दो मंदिर विशेष है पहला शिव और दूसरा शिव के महाम्रत्युन्जय रूप का .इस जगह में दंदेश्वर मंदिर ,चंडी का मंदिर ,कुबेर ,दुर्गा ,हनुमान ,सूर्य ,पिरामिड मंदिर शामिल है
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मित्रो आज हमने जाना उत्तराखंड का प्रसिद्ध मंदिर Jageshwar Temple का इतिहास और मान्यताये सच में मुसे बहुत मजा आया और आश्चर्य हुआ इस मंदिर का रहस्यमयी इतिहास के बारे में .आपको कैसा लगा अपना अनुभव जरुर बताये अगर आपके आसपास भी ऐसी कुछ मंदीरो का इतिहास है हमें बता सकते है .हमारे ब्लॉग पर आपको उत्तराखंड से सम्बंधित समस्त जानकारी मिलती रहती है .हमारे अन्य ब्लॉग भी पढ़ सकते है जय देवभूमि उत्तराखंड.
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