
उत्तराखंड का लोकप्रिय हरेला त्यौहार हरियाली का प्रतीक
हरेला पर्व 2020 ,उत्तराखंड और हिमांचल प्रदेश में मनाया जाता है .हरेला अलग अलग नामो से प्रशिद्ध भी है आइये जानते है हरेला त्यौहार किस तरह मनाया जाता है और क्या मान्यताये है .हरेला हिन्दुओ का प्रशिद्ध त्यौहार है .और उत्तराखंड के प्रमुख त्योहारों और मेलो के बारे में भी जानिए .कुमाऊँ में इस त्यौहार क धूम धाम से मनाया जायेगा आज के दिन ,हरेला पर हमने अपना पिछला ब्लॉग बनाया है उसे भी जरुर पड़े हरेला कैसे बोया जाता है
हरेला क्या है , हरेला कब है 2020
हरेला एक प्रकार का अनाजो के पौधे है जो हरेले के दिन से 10 दिन पहले 5 या 7 प्रकार के अनाज बोए जाते हैं जिनमे से गेहूं ,.उरद ,गहत ,सरसों ,चने ,जौ ,मक्का आदि सामग्री मिलाई जाती है त्यौहार के दिन बनकर तेयार हो जाता है .और इस दिन बड़ी धूमधाम से हरेला मनाया जाता है .कर्क संक्रांति (हरेला पर्व ) उत्तराखंड में 16 जुलाई 2020 को मनाया जा रहा है
हरेला का दिन कुछ खास
इस दिन घरो में नए नए पकवान बनाए जाते है .और घर के बुजुर्ग महिलाये जैसे ,अम्मा .ईजा (मम्मी ) सभी को हरेला पूजते है और अपनी भाषा में आशीर्वाद देते है कुछ इस प्रकार है –
जी रए,जागि रए
यो दिन यो मास भ्यटने रए,
धरती बराबरि चाकव है जाए,आसमान बराबर लंब है जाए
शेर क जे त्राण,स्याव क जै बुद्धि और खूब फल फूल जाए
अर्थात हिंदी में
जीते रहना जागते रहना
हर दिन हर माह भेंट करते रहना
धरती के बराबर चौड़ा और आसमान के बराबर लम्बा हो जाना
शेर जैसा ताकतवर बनना और लोमड़ी की तरह बुद्धिमान बन जाना
और खूब फल फूल जाना
हरेला त्यौहार क्यों मनाया जाता है
हरियाली का प्रतीक मन जाता है यह त्यौहार खेतो में हमेशा हरियाली आये ,अनाज ज्यादा उगे और सब खुश रहे यही वो आशीर्वाद है जो आज यानी कर्क संक्रांति जिसे हरेला भी कहा जाता है के दिन दिया जाता है.
आज श्रावण माह की संक्रांति है और आज से 10 दिन पहले यानी आषाढ़ के माह में जो हरेला डाला गया था उसे काटा जाता है.आज घर में पूजा अर्चना की जाती है और नाना प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं.
क्यों प्रिय है भगवान शिव को श्रावण का महीना
श्रावण माह भगवान शिव का माह माना जाता है क्योंकि भगवान शिव को यह माह सबसे अधिक प्रिय है.महादेव शिव को क्यों श्रावण का माह सबसे प्रिय है इसके पीछे एक पौराणिक कथा है
जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के घर में अपने आप को अग्नि को समर्पित कर दिया था उसके बाद देवी सती ने हिमालय राज़ के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया जब वह बड़ी हुई तो भगवान शिव को पाने के लिए उन्होंने श्रावण मास में व्रत रखा और तपस्या की उसके बाद श्रावण के ही महीने में महादेव शिव और देवी पार्वती का मिलन हुआ इसी कारण से भगवान शिव को यह माह सबसे अधिक प्रिय है.
हरेला राज्य पौधारोपण दिवस
क्योंकि हरेला पर्व मानव और प्रकृति के प्रेम का त्योहार है. इसी कारण आज के दिन काफ़ी समय पहले से पेड़ पौधे लगाने की परंपरा है.यह माना जाता है कि आज के दिन लगाया हुआ पौधा काफ़ी फलता फूलता है. इसी वजह से राज्य सरकार ने हरेला पर्व को राज्य पौधारोपण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है.
आप सभी आज के दिन पेड़ पौधे अवश्य लगाए और प्रकृति को सही सलामत रखें.
आज हमने आपको उत्तराखंड का लोकप्रिय पर्व हरेला त्यौहार के बारे में बताया ,आपके वहा इस प्रकार का कौन सा त्यौहार मनाया जाता है .हमें कमेंट करे -जय देवभूमि उत्तराखंड
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हरेले की हार्दिक शुभकामनाएं
आपको भी बहुत शुभकामनाये