उत्तराखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जानकारी
भारत को आजादी दिलाने में उत्तराखंड के महत्वपूर्ण महापुरुषों का योगदान
महान क्रांति कारी कालू सिंह मेहरा

प्रथम क्रन्तिकारी स्वंतंत्रता सेनानी कालू सिंह महरा का जन्म चम्पावत के लोहाघाट में 1831 में हुआ। इन्होने देश को आजाद करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1857 की क्रांति में इन्होने अपना गुप्त संगठन क्रांतिवीर का गठन किया जिसका उद्देस्य रहा अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन करना।
बद्रीदत्त पाण्डे



इस महान क्रन्तिकारी का जन्म हरिद्वार की भूमि 1882 में हुआ। इनका निवास स्थल अल्मोड़ा था। राज्य में चल रहे कुलीबेगार और कुलीउतार ,कुली बर्दायश आदि प्रथाओं के विरुद्ध आंदोलन चलाया और ऐसे ही समाज सेवा के लिए इन्हे कुर्मांचल केसरी की उपाधि से विभूषित किया गया। स्वंतंत्रता के उपरांत इन्हे कई बार जेल हुई.और जेल प्रवास में उन्होंने कुमाऊँ का इतिहास लिखा। अपने जीवन में सच्चे देश सेवा के लिए उन्हें 2 स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया गया। जिन्हे उन्होंने 1962 में भारत -चीन युद्ध के समय देश की सुरक्षा कोष में जमा कर दिया। आज भी इनका नाम इतिहास के पन्नो में अमर है।
पंडित गोविन्द बल्लभ पंत



पंत जी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा खूंट गांव में 10 सितम्बर 1887 को हुआ था। हिमालय पुत्र के नाम से विभूषित यह महानक्रांति ने देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। बचपन से ही राजनैतिक उच्च विचार में रहे -जब साइमन कमीशन भारत आया इन्होने उस वक़्त लोगो को जागरूक करके उनके खिलाफ आंदोलन किया। लखनऊ में जब साइमन कमीशन के विरुद्ध पर्दशन में इन्हे काफी चोटे आई। स्वतंत्रता के उपरांत काफी बार जेल भी गए।
राजनैतिक सफर
- 2 बार नैनीताल जिले से सयुक्त प्रान्त की विधान परिषद के सदस्य रहे.
- 1946 में उत्तरप्रदेश के मुख़्यमंत्री का पद सभाला और भारत के गृहमंत्री भी रहे.
- इसी जज्बे और सच्चे सपूत को देश सेवा के लिया भारत का सर्वोच सम्मान 26 जनवरी 1957 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
हरगोविंद पंत
अल्मोड़ा कांग्रेस की रीढ़ के नाम से विभूषित इस महान पुरुष का जन्म अल्मोड़ा के चितइ गांव में मई 1885 को हुआ। स्वतंत्रता के उपरांत इन्हे भी कई बार जेल हुए। कुमाऊँ में चल रहे कुलीन ब्राह्माड़ो द्वारा हल न चलाने की प्रथा को हल चलाकर तोड़ दिया।
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