हमारा सनातन धर्म हिन्दू धर्म इसे यों ही महान नहीं कहा जाता और धर्मों के सापेक्ष इस धर्म में मानवता की महिमा और सदाचार का व्यवहार सर्वाधिक दिखने को मिलता है.इसके अलावा यहां पूजे जाने वाले देवताओं की संख्या भी सर्वाधिक माना जाता है.हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले देवताओं की करीब 33 करोड़ बताई जाती है .लेकिन अगर हम देवभूमि उत्तराखंड की बात करें तो यह संख्या इससे कई ज्यादा है.क्योंकि यहां इनके अलावा स्थानीय देवता भी पूजे जाते हैं.इतना ही नहीं यहां महाभारत के सबसे बड़े खलनायक दुर्योधन तक की पूजा कि जाती है.इस बात को सुनकर आपको अजीब जरूर लग रहा होगा.लेकिन उत्तराखंड में एक ऐसी जगह है जहां duryodhan ka mandir तथा उसके परम मित्र karna ka mandir स्थित है.अगर आपने महाभारत पड़ी या देखी है तो दुर्योधन और कर्ण की मित्रता कितनी गहरी थी आपको भली-भाती पता होगा .उत्तराखंड में दुर्योधन और उसके मित्र कर्ण के मंदिर उत्तरकाशी के रवाई क्षेत्र में स्थित हैं.यहां के लोगों में दुर्योधन पर और देवताओं से सर्वाधिक आस्था है. Duryodhana Mandir Uttarkashi यहां के लोग अपने मुख्य देवता के रूप में दुर्योधन को ही पूजा करते हैं.यदि आप यहां दुर्योधन के बारे में कुछ भी ग़लत कहते हो तो आपको कठोर विरोध का सामना करना पड़ सकता है.
उत्तराखंड में दुर्योधन मंदिर उत्तरकाशी आने का मार्ग

देहरादून से करीब 132 कि. मी.की दूरी पर एक कस्बा पढ़ता है जिसका नाम है नौगांव.यहां से दो रास्ते निकलते हैं एक बड़कोट होते हुए यमुनोत्री की ओर और दूसरा पुरोला की ओर.पुरोला क्षेत्र पांडवों की पूजा के लिए प्रसिद्ध है.यहां पांडवों के अस्त्र शस्त्र जैसे गदा, तीर कमान आदि के प्रतीक भी देखने को मिलते हैं. यहीं से आगे बढ़ते हुए 48 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव पड़ता है नैटवाड़ जो कि टोंस नदी के किनारे स्थित है और यहीं से शुरू होता है दुर्योधन का इलाका.टोंस नदी यहां पर रूपिन और सुपिन नदियों के संगम से बनती है और यहीं के हरे भरे खेतों मनोरम दृश्यों से निर्धारित होती है दुर्योधन और कर्ण की सीमाएं. दुर्योधन रवांई क्षेत्र के पंचगाई पट्टी और उससे लगी हुई सिंगठूर पट्टी के प्रमुख देवता हैं. पंच गाई पट्टी और फतेह पर्वत के कुछ गांवों में दुर्योधन की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है.मांगलिक अवसरों पर दुर्योधन के मंदिरों में मेले का आयोजन किया जाता है और उत्सवों में दुर्योधन की मूर्ति को चांदी की डोली में बिठाकर नाचते गाते हुए पूरे इलाके के गांवों में घुमाया जाता है.
कर्ण और दुर्योधन के मंदिर
दुर्योधन के मंदिर
इस पूरे इलाके में दुर्योधन के करीब 14 मंदिर हैं जो कि पांव (उपला), पांव (निचला),सिरगा ,धारा, फिताड़ी, लेबाड़ी,सौड़,सिदरी, कोटगांव , ढाटमीर ,ओसला, गंगाड़, सनकुड़ी और जखोल गांवों में स्थित हैं.सभी मंदिर पूर्णतया लकड़ी के बने हुए हैं और अधिकांश में दुर्योधन की अष्टधातु की मूर्तियां स्थापित की गई हैं.
दानवीर Karna Mandir
दुर्योधन के परम मित्र और योद्धा अंगराज कर्ण का मंदिर देवरा गांव में है मंदिर काफी विशाल है इसके दरवाजों पर चांदी तांबा व पीतल के कई सिक्के ओर सूर्य के प्रतीक चिन्ह कील से ठोके गए हैं.अंदर अंगराज कर्ण की अष्टधातु से बनी मूर्ति है.साथ ही शिव बद्रीनाथ केदारनाथ की मूर्तियां भी रखी हुई हैं.
karna mandir india में बहुत सारे मंदिर है लेकिन एक ऐसा मंदिर उत्तरकाशी जिले के रवांई क्षेत्र के कई जगहों पर दुर्योधन तथा कर्ण के मंदिर स्थित हैं और यहां की कई जगहों पर दुर्योधन को इष्ट देवता के रूप में भी पूजा जाता है.
आज हमें क्या नया जाना
आज हमने महाभारत के सबसे बड़े खलनायक कर्ण और दुर्योधन के मंदिर के बारे में जाना और उन्हें कुल देवता के रूप में भी पूजा जाता है आपको यह जानकर कैसा लगा Duryodhan Mandir Uttarkashi के बारे में अपने राय हमें निचे कमेंट में दे .
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