😥 एक बिखरे हुए घर की दास्तां कुछ बोल रही है 😥
ऐ मेरे मालिक क्यों फरियाद करता है।
कभी तेरी जिंदगी का सहारा था कभी आज मैं भी खंडकर हो चुका हूं। कभी इन तेरी खुशियों का लुफ्त उठाया करता था अपनी वादियों में आज मैं अकेला पड़ चुका हूं
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House |
ऐ मेरे मुसाफिर मालिक तू कब वापस आ रहा है में यहाँ खंडहर हो गई हु।
कभी मेरे यहां एक दिन मैं भी तेरा सब कुछ था आज तू मुझे अकेला छोड़ गया।
कभी मैं खुश रहता था कभी तू भी मेरे आंगन में खुशियों की लहर थी सब परिवार साथ रहते थे। साथ खाना खाते थे और काम करते थे। लेकिन आज तूने मुझे अकेला छोड़ दिया। भूल गया अपना बचपन जब सुभह उठता तो खिड़कियों से नजारा देखता और कभी मेरे चूल्हे में खाना पका कर फु फु कर आग जलाता लेकिन आज तुम मुझे अकेला छोड़ गया। 😥 😥 😥 भूल गया जब घर में बहुत सारे पकवान बनते भट्ट की दाल ,गहत की दाल मदिरा का भात , सिन का साग।
कभी तेरा परिवार खुसियो से मेरे आगाँ में खेलता।
चाहे गर्मी हो या सर्दी में तुझे बचाता और आज तुम मुझे अकेला छोड़ गया
मेरे पत्थर टूट गए हैं में खंडहर बन चुकी हु। लेकिन आज भी में तेरी यादों में हूं
ऐ मेरे मालिक वापस अपने पहाड़ आजा मुझे एक नजर देख जा। अकेली चुकी हु मेरे और अब कोई नहीं खेलता तू वापस आ जा मुझे एक नजर देख जा। ऐ मेरे मालिक तू
वापिस आजा।
मित्रों मेरा एक छोटा सा प्रयास आज जिस तरह से हमारे गांव घर खंडहर हो रहे हैं लोग पलायन कर रहे हैं उस पर मैंने ब्लॉग बनाया अगर अच्छा लगा तो शेयर कीजिएगा और हमारे फेसबुक पेज में जरूर जुड़ेगा धन्यवाद
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